Sunday, November 27, 2011

वक़्त ने मुझे आज ये क्या खूब गुल खिलाया है,

वक़्त ने मुझे आज ये क्या खूब गुल खिलाया है,

कल तक तो जो हंस कर जीता था जिंदगी को,
वो आज मौत कि चादर तले सोने को आया है,

वक़्त ने जो दिया था कल तक मुझे,
वो कल मुझे आज मे छोड आया है,

खुशियां जो कल तक थी मेरे दामन मे,
उसि को वक़्त ने क्या खूब गुल खिलाया है,

जो बांटता था हर वक़्त प्यार सभी को,
उसि कि झोली मे गम का हिस्सा आया है,

मोहब्बत जिसके दिल मे बसति थि सांस बनकर,
उसि को आज मोहब्बत ने क्यु ठुकराया है,

सबकि तन्हायियो मे जो देता था साथ हर वक़्त,
आज वहि हर रात तन्हायियो मे सोता आया है,

खुशि तो अब केवल होठो पे बसति है जिसके,
उसके दिल मे केवल गम का आंसु आया है,

ये वक़्त ने मुझे आज ये क्या गुल खिलाया है !

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 27 नवम्बर २०११

No comments:

Post a Comment

Here Please Comment Upon My Shayri.....!

Thanks & Regards By- Roshan Dhar Dubey
[Email Id-rddubeyup@gmail.com]